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Sadness

उदासी पौराणिक  कथाओं की रहस्यों की भांति  होती जा रही है सामने खिड़की से आती समस्याओं को  मारने जैसा दिखता है एक उद्यमी व्यक्ति और दिन रात  मेहनत करने वाला एक शख्स  दिन रात चुभता है मछली की कांटे की तरह और हताशा से पीता है एक एक घूंट माथे से टपकता पसीना किसी दिन दिन को  दिन ना समझूं तो चश्में का फ्रेम टूट जाया करती है मैंने देखा है.. हर शाम एक  नौजवान व्यक्ति का  माथा गरम होता जाता है  और ज्वर के कारण बदलता रहता है रात भर करवट  तुम किसी बेरोजगार  व्यक्ति की प्रेयसी को ढूंढते हुए उसके कमरे की  बिखरी पड़ी किताबों तक मत पहुंचना वो तुम्हें आसानी से उसके चेहरे पे दिख जायेगी! महीने की आखिरी तारीख को  बेरोज़गारी भत्ता के नाम पे मिलता है  तिनका तिनका तिरस्कृत किया हुआ शब्द साल की आख़िरी तक निकाला जा सकता है घर से दो चार जोड़ी कपड़ों में। ✿स्वाति बर्नवाल